
नई दिल्ली, 5 अगस्त :युद्ध की निरंतर बदलती प्रकृति से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए विघटनकारी तकनीकों को शीघ्रता से अपनाने, पुरानी संरचनाओं पर पुनर्विचार करने और तीनों सेनाओं में तालमेल को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
यह बातें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र के स्थापना दिवस पर कहीं। उन्होंने कहा, आज के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी अभिसरण के साथ एकीकृत संचालन बहुत जरुरी है। कार्यक्रम में वरिष्ठ रक्षा नेतृत्व, रणनीतिक विचारकों और विद्वानों ने ‘भविष्य के युद्धक्षेत्र पर प्रभुत्व’ विषय पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर, मानव-मानव रहित टीमिंग पर जनरल बिपिन रावत के पहले शोध पत्र का औपचारिक विमोचन भी किया गया।
एकीकृत रक्षा स्टाफ के उप प्रमुख (सिद्धांत, संगठन और प्रशिक्षण) ने ‘भविष्य के युद्ध में भारतीय विरासत की राज्य कला को आत्मसात करना’ विषय पर एक व्याख्यान दिया। इसमें इस बात की जांच की गई कि कैसे स्वदेशी सभ्यतागत ज्ञान आधुनिक सैन्य चिंतन को प्रभावित कर सकता है। वार्षिक ट्राइडेंट व्याख्यान श्रृंखला का उद्देश्य आलोचनात्मक चिंतन, रणनीतिक दूरदर्शिता और नीति नवाचार पर चर्चा के साथ युद्ध व राष्ट्रीय रक्षा की उभरती गतिशीलता से निपटना है।
‘कोटा फैक्ट्री’ सीजन 3: जितेंद्र कुमार की दमदार ड्रामा नेटफ्लिक्स पर आएगी, रिलीज डेट सामने आई